भारत में तेजी से बढ़ रही है विटामिन D की कमी: जानिए कौन लोग हैं सबसे ज्यादा खतरे में और इससे कैसे बचा जाए?

भारत में तेजी से बढ़ रही है विटामिन D की कमी: जानिए कौन लोग हैं सबसे ज्यादा खतरे में और इससे कैसे बचा जाए?

भारत में तेजी से बढ़ रही है विटामिन D की कमी: जानिए कौन लोग हैं सबसे ज्यादा खतरे में और इससे कैसे बचा जाए?
आज के समय में विटामिन D की कमी एक “साइलेंट महामारी” बनती जा रही है, (Rapid Rise of Vitamin D Deficiency in India: Who’s Most at Risk and How to Prevent It) खासकर भारत जैसे देश में जहां सालभर सूरज की रोशनी उपलब्ध रहती है। यह विटामिन न केवल हड्डियों की मजबूती के लिए जरूरी है, बल्कि इम्यून सिस्टम, मानसिक स्वास्थ्य और मांसपेशियों की कार्यक्षमता में भी इसकी अहम भूमिका होती है। आश्चर्य की बात यह है कि इतनी रोशनी होने के बावजूद भारत की एक बड़ी आबादी विटामिन D की कमी से जूझ रही है।


विटामिन D क्या है और क्यों जरूरी है?

विटामिन D एक वसा में घुलनशील विटामिन है जो शरीर में कैल्शियम और फॉस्फोरस को अवशोषित करने में मदद करता है। इसका मुख्य स्रोत सूर्य की अल्ट्रावायलेट B (UVB) किरणें होती हैं, जो त्वचा के संपर्क में आने पर विटामिन D का उत्पादन करती हैं।

यह विटामिन न सिर्फ हड्डियों को मजबूत बनाता है, बल्कि हार्मोनल संतुलन, मांसपेशियों की क्रियाशीलता, प्रतिरक्षा प्रणाली और मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी जरूरी है।


भारत में क्यों हो रही है विटामिन D की कमी?

  1. घरों और ऑफिस में लंबे समय तक रहना:
    आधुनिक जीवनशैली में लोग ज़्यादातर समय घर या ऑफिस के अंदर बिताते हैं, जिससे सूरज की रोशनी मिलना मुश्किल हो जाता है।
  2. सनस्क्रीन और पूरी बॉडी कवरिंग कपड़े:
    फैशन और स्किन प्रोटेक्शन के चलते लोग पूरी बॉडी ढक कर बाहर निकलते हैं। यह सूर्य की किरणों को त्वचा तक पहुंचने से रोकता है।
  3. प्रदूषण:
    शहरी क्षेत्रों में वायु प्रदूषण UVB किरणों को धरती तक पहुंचने नहीं देता।
  4. अनियमित खानपान:
    आजकल का आहार अधिकतर प्रोसेस्ड फूड्स पर आधारित है, जिनमें विटामिन D की मात्रा नगण्य होती है।

कौन हैं सबसे ज्यादा खतरे में?

  1. बुज़ुर्ग:
    उम्र बढ़ने के साथ शरीर में विटामिन D के सिंथेसिस की क्षमता घट जाती है।
  2. गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाएं:
    इनके शरीर की पोषण संबंधी मांग ज़्यादा होती है। अगर डाइट पर्याप्त न हो, तो कमी जल्दी हो सकती है।
  3. बच्चे:
    बच्चों की हड्डियों का विकास विटामिन D पर निर्भर करता है। कमी होने पर रिकेट्स जैसी बीमारियाँ हो सकती हैं।
  4. डेस्क जॉब करने वाले लोग:
    जो लोग दिनभर ऑफिस में काम करते हैं, उन्हें सूरज की रोशनी कम मिलती है।
  5. गहरे रंग की त्वचा वाले लोग:
    मेलेनिन की मात्रा ज्यादा होने से UVB अब्जॉर्प्शन कम हो जाता है।

विटामिन D की कमी के लक्षण

  • थकान और कमजोरी
  • मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द
  • बार-बार बीमार पड़ना
  • बालों का झड़ना
  • नींद न आना या बेचैनी
  • डिप्रेशन जैसी मानसिक समस्याएं
  • हड्डियों में दर्द या फ्रैक्चर

कैसे करें बचाव और इलाज?

  1. सूरज की रोशनी लें (कम से कम 15–20 मिनट रोज):
    सुबह 8 से 10 बजे तक की धूप सबसे फायदेमंद होती है।
  2. संतुलित आहार लें:
    अंडे की ज़र्दी, मछली (विशेषकर सैल्मन, टूना), दूध, दही, चीज़ और विटामिन D से फोर्टिफाइड अनाज खाने में शामिल करें।
  3. सप्लीमेंट्स का सेवन करें:
    डॉक्टर की सलाह से विटामिन D3 सप्लीमेंट्स लिया जा सकता है।
  4. नियमित जांच कराएं:
    अगर आपको लगातार थकान, दर्द या कोई लक्षण नजर आएं तो विटामिन D लेवल की जांच जरूर कराएं।

एक्सपर्ट की सलाह

डॉक्टर्स का कहना है कि विटामिन D की कमी को नजरअंदाज करना आगे चलकर गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है, जैसे ऑस्टियोपोरोसिस, ऑटोइम्यून डिसऑर्डर, डायबिटीज और दिल की बीमारियां। इसलिए रोकथाम ही सबसे अच्छा इलाज है।


सरकार और स्वास्थ्य संगठनों की भूमिका

  • सार्वजनिक जागरूकता अभियान
    अधिक से अधिक लोगों को धूप में समय बिताने और सही खानपान के लिए जागरूक किया जाना चाहिए।
  • फूड फोर्टिफिकेशन:
    सरकार द्वारा दूध, अनाज आदि में विटामिन D को अनिवार्य रूप से मिलाया जाना एक बेहतर कदम हो सकता है।

निष्कर्ष

विटामिन D की कमी को हल्के में लेना भारी पड़ सकता है। यह एक धीमी लेकिन गंभीर स्वास्थ्य समस्या बनती जा रही है, जिसका हल हम अपनी जीवनशैली में छोटे बदलाव करके पा सकते हैं। हर व्यक्ति को जागरूक होकर अपनी और अपने परिवार की सेहत का ध्यान रखना चाहिए।

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